Snan karne ke niyam | Nahane ka sahi samay kon sa hai | Nahane ka ayurvedic tarika | इस तरह स्नान करके शरीर को बनाये रोगों से मुक्त
Snan karne ke niyam
भारत में आयुर्वेद के अनुसार स्नान करने (नहाने) के कुछ नियम बताये गए हैं! अगर हम इन नियमों का नियमित रूप से पालन करते हैं, तो हम अपने शरीर को 123 तरह के रोगों से मुक्त बना सकते हैं!
Snan kaise karna chahiye
आयुर्वेद के अनुसार स्नान के लिए सुबह का समय सर्वश्रेष्ठ होता है! अतः नित्य-प्रतिदिन हमें सुबह का स्नान ही करना चाहिए! आयुर्वेद में बताये गए स्नान करने के कुछ नियम इस प्रकार हैं:-
Snan karne ka sahi samay
- आयुर्वेद में सुबह उठने का उपयुक्त समय 4:00 से 4:30 बजे तक का बताया गया है! इसके साथ सुबह 6:00 से 6:30 बजे के बीच में स्नान का सबसे उपयुक्त समय होता है!
- आयुर्वेद के अनुसार हमेशा समान्य तापमान के पानी से ही नहाना चाहिए! इसका अर्थ यह है कि गर्मियों में हमेशा ठंडे पानी से और सर्दियों में थोड़े गरम अर्थात सामान्य तापमान के पानी से नहाना चाहिए! जमीन के अंदर का पानी जैसे कि कूप, बोर या फिर हैंडपंप का पानी हर मौसम में सामान्य तापमान का ही होता है!
- आयुर्वेद में वर्णित है कि अगर आप सिर पर गरम पानी डालते हैं, तो निश्चय ही आप शरीर में 123 रोगों को आमंत्रण दे रहे हैं! अगर आप बीमार हों, तो उस परिस्थिति में आप गरम पानी से नहा सकते हैं! मगर इस स्थिति में भी आँख और सर के ऊपर कभी गरम पानी नहीं डालना चाहिए! हमारे शरीर में ये दोनों कफ का स्थान होते हैं! अगर इन पर गरम पानी पड़े तो कफ काफी तेजी से बढ़ता है और शरीर में कई तरह के रोग पैदा होते हैं!
Nahane ka ayurvedic tarika
- अगर शरीर में मांसपेशियों का दर्द है, तो ठंडे और गरम पानी को मिक्स करके स्नान करना चाहिए! जैसे एक बार शरीर पर ठंडा पानी डालकर फिर गरम पानी डालें! इसके बाद फिर से ठंडा पानी डालकर फिर गरम पानी डालें! इस तरह स्नान करने से मांसपेशियों का दर्द कम होगा! परंतु यदि आप स्वस्थ हैं, तो पानी सामान्य तापमान का ही प्रयोग करें!
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